जनता कर्फ्यू से लाॅकडाउन तक, 26 गुना बढ़े कोरोना के मामले

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कोरोना के संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए देश में 22 मार्च को लगाये गये जनता कर्फ्यू और उसके बाद 21 दिनों के लाॅकडाउन की समय आज खत्म हो रहा है। इस बीच में हम कोरोना को रोक पाने में कहां तक सफल हुए है, इसके लिए हमने एक विश्लेषण तैयार किया है। उम्मीद है कि आपको यह विश्लेषण पसंद आयेगा। साथ ही समझ आयेगा कि इस खतरनाक वायरस किस तेजी के साथ फैलता है।

  • 22 मार्च को देश में कोरोना के कुल मामले 403 थे। जोकि 14 अप्रैल को 26 गुना बढ़कर 10620 पर पहुॅच गया है।
  • आज देश में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले महाराष्ट्र (2334) में है। जबकि 22 मार्च को यहाँ पर सिर्फ 74 मामले थे।
  • दूसरे स्थान पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (1510) है। यहाँ पर 22 मार्च को महज 27 मामले थे।
  • तीसरे नंबर पर दक्षिण भारत का तमिलनाडु राज्य है। यहाँ पर आज 1173 मामले सामने आ चुके है। वहीं 22 मार्च को यहाँ पर केवल 9 कोरोना संक्रमित ही थे।

कहाँ पर हुई बड़ी चूक

अब एक यह यक्ष प्रश्न खड़ा होता है कि जब 22 मार्च तक स्थिति नियंत्रण में थी तो अचानक ऐसा क्या हो गया जिससे कोरोना के मामलों में इतना बड़ा विस्फोट हो गया। इसका जवाब है मुस्लिम समुदाय की तबलीगी जमात।

जी हाँ, दिल्ली के निजामुद्दीन स्थिति मरकज में इस्लाम का प्रचार करने वाली संस्था तबलीगी जमात ने तमाम रोक होने के बाद भी 2 हजार से ज्यादा लोगों को एकत्रित कर कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में विदेश से भी जमात के सदस्य आये हुए थे, जिन्हें पहले से कोरोना था। हालांकि कार्यक्रम को आयोजित करने वाला मौलाना साज भगोड़ों की तरह पुलिस से छुपता घूम रहा है। वहीं दूसरी ओर जमाती भी मरकज से निकल कर अलग अलग राज्यों में फैल गये। इस दौरान इन्होंने अनगिनत लोगों को कोरोना के खतरे में डाल दिया।

मरकज से कैसे निकले जमाती

एक सवाल यह भी उठता है कि जब देशभर में सार्वजनिक यातायात पर पाबंदी थी तो दिल्ली के जमाती मरकज से निकल कर पूरे देश में कैसे फैल गये। तो आपको याद होगा कि 25 मार्च को लाॅकडाउन की घोषणा के 2 दिन बाद कुछ टीवी चैनलों ने दिल्ली में रहने वाले दिहाड़ी मजदूरों के पलायन की खबर दिखाई थी। इस खबर के 2-3 दिन बाद दिल्ली के बार्डर पर लाखों लोगों की भीड़ लग गई जो अपने अपने घरों को वापस जाना चाहते थे। कायस लगाये जा रहे है कि इसी भीड़ का फायदा उठा कर जमाती भी इसी भीड़ में शामिल हो गये थे।

दिल्ली सरकार पर भी उठ रहा सवालिया निशान

इस पूरे प्रकरण के बीच दिल्ली के केजरीवाल सरकार पर भी एक बड़ा सवालिया निशान लग रहा है। दिल्ली के मंत्री और केजरीवाल के खासमखास राघव चड़डा ने उत्तर प्रदेश सरकार की एक फर्जी शासनादेश को सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। इस शासनादेश के अनुसार दिल्ली बार्डर पर 1000 बसों के द्वारा पलायन कर रहे मजदूरों को उनके घर तक पहुॅचाने की बात लिखी हुई थी। वहीं दिल्ली में लोकल बसों के माध्यम से भी लोगों को भर भर कर दिल्ली के बार्डर तक छोड़ा गया था।

डाटा स्त्रोत: https://www.covid19india.org/

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