राजस्थान : प्रदेश में अब सत्ता और राजनीति में दिव्यांगों की ताकत दिखाई देगी। इसकी वजह है कि अब स्थानीय निकायों में दिव्यांगजनों की भागीदारी सुनिश्चित हो गई है। दिव्यांग व्यक्ति प्रदेश के निकायों में सदस्यों के रूप में मनोनीत किए जाएंगे। जिससे उनका मनोबल भी बढ़ेगा। साथ ही वे राजनीति में सक्रिय होकर अपने साथियों की आवाज को भी मजबूती से उठा पाएंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने दिव्यांगों के हित में बड़ा निर्णय लिया है कि स्थानीय निकाय चुनाव में अब दिव्यांगों को सदस्य के रूप में मनोनीत किए जाएगा। पिछले कई सालों से दिव्यांगजनों को निकायों में भागीदारी देने की मांग चल रही थी। इसके बाद पिछले दिनों सरकार ने यह कदम उठाया। दावा किया जा रहा है कि दिव्यांगों की राजनीति और सत्ता में भागीदारी वाला राजस्थान ऐसा पहला राज्य है। सरकार के इस फैसले को लेकर दिव्यांग अधिकारी महासंघ के उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल का कहना है कि यह एक क्रांतिकारी फैसला है।
रिपोर्ट : मनीष कुमार खंडेलवाल