बंगाल में मतदाता सूची विवाद पर सियासत गरम: भाजपा का आरोप—’ममता सरकार मृतकों के नाम हटाने नहीं दे रही’

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर बवाल बढ़ गया है। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार मृत मतदाताओं के नाम हटाने से रोक रही है।

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Highlights
  • बंगाल में मतदाता सूची के एसआईआर को लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद शुरू।
  • शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया—ममता सरकार मृतक मतदाताओं के नाम हटाने नहीं दे रही।
  • भाजपा नेता ने BLO का कथित ऑडियो जारी किया, जिसमें डेथ सर्टिफिकेट के बिना नाम न हटाने की बात।
  • परिवारों पर दबाव डालने और दस्तावेज जमा न करने देने के भी आरोप।
  • TMC का पलटवार—“नियम स्पष्ट हैं, मृत्युपत्र के बिना नाम हटाना अवैध।”
  • चुनाव आयोग से जांच और कार्रवाई की मांग।

पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इसी प्रक्रिया पर अब बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया है कि राज्य प्रशासन जानबूझकर मृत मतदाताओं के नाम हटाने में बाधा डाल रहा है, ताकि आगामी चुनावों में इन नामों का दुरुपयोग किया जा सके।

अधिकारी ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा कर दावा किया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार राज्य में नकारात्मक माहौल देख रही है, जिस कारण वह मृत मतदाताओं के नाम बनाए रखने की कोशिश कर रही है। उनके अनुसार इस प्रक्रिया में कुछ सरकारी अफसरों और स्थानीय प्रभावशाली लोगों का भी सहयोग मिल रहा है।

🔶 BLO के कथित ऑडियो पर नया विवाद

शुभेंदु अधिकारी ने दक्षिण 24 परगना जिले के फाल्टा इलाके के बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) का एक कथित ऑडियो क्लिप भी सार्वजनिक किया है। दावा है कि इस ऑडियो में BLO बता रहा है कि उच्च अधिकारियों ने निर्देश दिया है कि मृतक मतदाताओं के नाम तभी हटाए जाएं जब उनका डेथ सर्टिफिकेट उपलब्ध हो, सिर्फ परिवार के घोषणा-पत्र (डिक्लेरेशन) के आधार पर नाम न हटाया जाए।

अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि फाल्टा के बीडीओ और एआरओ ने BLOs को आदेश दिया है कि—

  • परिवार के डिक्लेरेशन फॉर्म अपलोड न करें
  • ऐसे मामलों को ‘अनमैप्ड’ छोड़ दें
  • ताकि बाद में हेरफेर की गुंजाइश बनी रहे

🔶 स्थानीय दबंगों पर मतदाता सूची पर दबाव डालने के आरोप

बीजेपी नेता ने कहा कि कुछ स्थानीय दबंग परिवारों पर दबाव बना रहे हैं कि वे BLO को मृतक सदस्य के दस्तावेज न दें, जिससे मृत मतदाताओं के नाम सूची में बने रहें। उन्होंने BLOs और जनता से अपील की कि वे “दबाव में न आएं” और प्रक्रिया में चुनाव आयोग का सहयोग करें।

शुभेंदु अधिकारी ने चेतावनी भी दी कि TMC से जुड़े बीडीओ और एआरओ ऐसे निर्देशों से बाज आएं, अन्यथा उन्हें परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने चुनाव आयोग से मामले की तुरंत जांच और कार्रवाई की मांग की।

🔶 टीएमसी का पलटवार: शुभेंदु पर नियमों की ‘गलत व्याख्या’ का आरोप

भाजपा के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी के राज्य उपाध्यक्ष और प्रवक्ता जय प्रकाश मजूमदार ने कहा कि चुनाव आयोग के नियम स्पष्ट हैं—
✔ किसी मतदाता का नाम बिना मृत्युपत्र (Death Certificate) के हटाया नहीं जा सकता
✔ परिवार के किसी सदस्य के हस्ताक्षर मात्र से लिस्ट से नाम नहीं हटाया जा सकता

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता बिना प्रक्रिया समझे मामले को राजनीतिक रंग दे रहे हैं। टीएमसी का कहना है कि एसआईआर पूरी तरह चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार चल रहा है।

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