देश के प्रमुख प्रबंधन संस्थानों में से एक आईआईएम संबलपुर ने अपने दिल्ली परिसर में वसंत कुंज के आईएसआईडी में वर्किंग प्रोफेशनल्स के दूसरे एमबीए बैच का आधिकारिक तौर पर उद्घाटन किया। एनएसई अकादमी द्वारा संचालित यह कार्यक्रम आज के प्रतिस्पर्धी कारोबारी माहौल में उद्योग-केंद्रित शिक्षा प्रदान करने और नेतृत्व को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एमबीए का यह दूसरा बैच विविधता और अनुभव के एक बेहतरीन संयोजन के रूप में सामने आता है, जिसमें विद्यार्थियों की औसत आयु 31 वर्ष है और जिसमें 75 फीसदी छात्र और 25 प्रतिशत छात्राएं हैं। औसतन 5.5 वर्षों के कार्य अनुभव के साथ, ये वर्किंग प्रोफेशनल्स इन्फॉर्मेशन टैक्नोलॉजी और सर्विसेज, मैन्यूफैक्चरिंग, टेलीकॉम, फाइनेंस और कंसल्टिंग और अन्य विविध उद्योगों से आते हैं। वर्किंग प्रोफेशनल्स जिन कंपनियों से आते हैं, उनमें ईवाई ग्लोबल डिलीवरी सर्विसेज, आईबीएम इंडिया, एडोब और भारती एयरटेल जैसी ग्लोबल कंपनियां शामिल हैं। यह एमबीए प्रोग्राम डेटा साइंस और प्रॉडक्ट मैनेजमेंट के साथ-साथ इनोवेशन और स्टार्टअप में विशेषज्ञता प्रदान करने के लिहाज से डिज़ाइन किया गया है।
समारोह की शुरुआत आईआईएम संबलपुर के डायरेक्टर प्रो. महादेव जायसवाल के संबोधन से हुई, जिन्होंने कार्यक्रम के उद्देश्यों का खुलासा किया और कहा, ‘‘हम अपने दिल्ली कैम्पस में वर्किंग प्रोफेशनल्स के दूसरे एमबीए बैच का स्वागत करते हुए रोमांचित हैं। यह प्रोग्राम पिछले साल हाइब्रिड मोड में वर्किंग एक्जीक्यूटिव्स पर फोकस के साथ शुरू हुआ था। अब हम इस शुरुआती पेशकश से आगे बढ़ने की योजना बना रहे हैं क्योंकि हम अपने कोर वैल्यूज यानी इनोवेशन, इंटीग्रिटी और इन्क्लूसिवनैस का पालन करते हुए दिल्ली में सक्रिय रूप से नए अवसर और पहल पेश कर रहे हैं।’’
प्रोफेसर जायसवाल ने आगे कहा, ‘‘हमारा कैम्पस फ़्लिप्ड क्लासरूम की सुविधा से सुसज्जित है, जिसमें डिजिटल बोर्ड शामिल हैं जो हस्तलिखित नोट्स को सभी छात्रों के लिए आसान पीडीएफ में बदल देते हैं। हम फ़्लिप्ड क्लासरूम मॉडल का उपयोग करते हैं जहाँ छात्र अनुभव आधारित शिक्षा हासिल करते हैं और संकाय सदस्यों के साथ वास्तविक दुनिया की औद्योगिक समस्याओं को हल करते हैं। इसके अतिरिक्त, शिक्षा से परे, हम व्यक्तिगत खोज और चार प्रकार की ऊर्जा के प्रबंधन पर जोर देते हैं- शारीरिक, बौद्धिक (आईक्यू), भावनात्मक (ईक्यू), और जीवन (एलक्यू)। आईआईएम संबलपुर से एमबीए उपाधि हासिल करने वाले छात्र इन ऊर्जाओं को विकसित करते हैं, जिससे प्रभावी ढंग से लीडरशिप को आगे बढ़ाने के लिए अच्छे लोग तैयार किए जा सकते हैं। हमारा मानना है कि यह दृष्टिकोण ऐसे ग्रेजुएट तैयार करेगा जो अपने परिवार, उद्योग और समाज में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं और लोगों को संस्थापक की मानसिकता प्राप्त करने में मदद करेंगे, न कि नौकर की मानसिकता। हम सामाजिक प्रभाव के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। उदाहरण के लिए, संबलपुरी साड़ी बुनकरों के व्यवसाय को डिजिटल बनाने के लिए ओएनडीसी और फ्लिपकार्ट के साथ हमारे सहयोग के परिणामस्वरूप प्रशिक्षण के केवल तीन महीनों के भीतर उनकी बिक्री में उल्लेखनीय 300 गुना वृद्धि हुई है। यह पहल इनोवेशन, इंटीग्रिटी और इन्क्लूसिवनेस को बढ़ावा देने के लिए हमारे समर्पण का उदाहरण है। इस तरह हम यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारे छात्र आत्मविश्वास और क्षमता के साथ भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हों।’’
इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट (आईएसआईडी) के निदेशक प्रोफेसर नागेश कुमार ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में औद्योगिक विकास और व्यावसायिक शिक्षा के भविष्य पर अपने विजन को साझा करते हुए कहा, ‘‘आईआईएम संबलपुर का जिक्र करते हुए विचार करते हुए इनोवेशन, इंटीग्रिटी और इन्क्लूसिवनेस जैसे इसके कोर वैल्यूज को देखना हमारे लिए बहुत प्रेरणादायक है। एमबीए जैसे प्रोग्राम विद्यार्थियों के जीवन में जो मूल्य जोड़ते हैं, वह अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है और आईआईएम संबलपुर जैसे संस्थान इस शैक्षिक क्रांति में सबसे आगे हैं।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘जापान से लेकर अमेरिका तक दुनिया भर के देश वृद्ध आबादी से जूझ रहे हैं। आबादी से संबंधित यह बदलाव भारत को अपनी युवा आबादी के साथ एक संभावित वैश्विक प्रतिभा केंद्र के रूप में स्थापित करता है। आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थान हमारी मानव पूंजी को वैश्विक स्तर पर एक कुशल कार्यबल में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।’’
बैंक ऑफ फिनलैंड के आमंत्रण पर हेलसिंकी में अपने हालिया संबोधन का उदाहरण देते हुए, प्रोफेसर कुमार ने आगे कहा, ‘‘भारत भर में फैल रहे आईआईएम की कहानी उल्लेखनीय है। पांच मूल संस्थानों से, अब हमारे पास कई टियर टू शहरों में भी आईआईएम हैं। फिर भी दिल्ली में आईआईएम की कमी थी जब तक कि प्रोफेसर जायसवाल के विजन ने इसे साकार नहीं किया। उनकी उद्यमशीलता की भावना ने दिल्ली में आईआईएम संबलपुर के परिसर की स्थापना की, जिसमें एक अग्रणी एक्जीक्यूटिव एमबीए प्रोग्राम के लिए मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर का उपयोग किया गया। आईएसआईडी में हमें आईआईएम संबलपुर के दिल्ली केंद्र की मेजबानी करने का सम्मान हासिल हुआ है। यह साझेदारी कई सहयोगी उपक्रमों की शुरुआत का प्रतीक है। मैं आपको औद्योगिक विकास में हमारे काम के बारे में जानने के लिए सप्ताह के दिनों में हमारे आईएसआईडी परिसर का दौरा करने के लिए आमंत्रित करता हूं, जिसमें मेक इन इंडिया जैसी पहलों का समर्थन करना शामिल है।’’
आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी – आइवी कॉलेज ऑफ बिजनेस, यूएसए के असिस्टेंट डीन फॉर इंडस्ट्री एंगेजमेंट एंड प्रोफेसर, प्रो. राज अग्निहोत्री ने एक विशेष संबोधन दिया, जिसमें उद्योग सहभागिता और व्यावसायिक शिक्षा की उभरती गतिशीलता पर अपना विजन साझा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम व्यावसायिक शिक्षा के महत्व को अच्छी तरह समझते हैं और इसके वैल्यूज में विश्वास करते हैं जो छात्रों को अवधारणा बनाने, विचारों को तैयार करने, प्रतिरोध का सामना करने, सिद्धांतों और मॉडलों को वास्तविक दुनिया की स्थितियों के अनुकूल बनाने के लिए ज्ञान से लैस करती है।’’
प्रो. अग्निहोत्री ने आगे कहा, ‘‘हमें विचारों को व्यवहारिक बिजनेस मॉडल में बदलने, चुनौतियों का सामना करने और समस्या-समाधान के लिए वैज्ञानिक और कलात्मक दृष्टिकोणों को एकीकृत करने के लिए एमबीए की आवश्यकता है। हमारे पास रतन टाटा और मार्क जुकरबर्ग से लेकर अन्य लोगों के उदाहरण हैं, जिन्होंने अपनी बिजनेस डिग्री पूरी नहीं की है, लेकिन फिर भी सफल व्यवसाय शुरू किए हैं, जबकि हर किसी को अगला जुकरबर्ग या पिकासो बनने की आवश्यकता नहीं है, हम उद्यमशीलता की सफलता के लिए आवश्यक बुनियादी कौशल प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं।’’ प्रो. अग्निहोत्री ने भारत में अद्वितीय उद्यमशीलता के माहौल पर भी प्रकाश डाला, छात्रों को अपने स्थानीय संदर्भ का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया, ‘‘क्योंकि भारत एक वैश्विक प्रयोगात्मक लैब बन गया है।’’
एनएसई एकेडमी के सीईओ अभिलाष मिश्रा ने अपने उद्बोधन में लर्निंग के इनोवेटिव तरीकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा, ‘‘आज दुनिया डेटा, डिजिटल फिनटेक और साइबर सुरक्षा के बारे में बात करती है। कल्पना कीजिए, 30 साल पहले, निवेशकों के लिए बाजार तक पहुंच को संभव बनाने के लिए एक टैक्नोलॉजी हब बनाने के मकसद से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की स्थापना की गई थी। फिनटेक अब एक चर्चा का विषय है, लेकिन यह हमेशा हमारे डीएनए का हिस्सा रहा है।’’ मिश्रा ने आगे कहा, ‘‘प्रोफेसर समस्या का समाधान तलाशने वाले होते हैं। वे मुद्दों की पहचान करते हैं, शोध करते हैं, सैद्धांतिक ज्ञान विकसित करते हैं, और कक्षा में साझा करने के लिए मॉडल और रूपरेखाएँ बनाते हैं। आप, छात्र, इस ज्ञान के संरक्षक हैं, जिन्हें वास्तविक दुनिया में इसे लागू करने का काम सौंपा गया है। हम सभी उद्योग और राष्ट्र के जिम्मेदार भावी नागरिकों के रूप में इस ज्ञान को आगे बढ़ाने में भागीदार हैं।’’
सोप्रास्टेरिया इंडिया के डिप्टी सीईओ सुनील गोयल ने इस अवसर पर कहा, ‘‘आज के तेजी से बदलते कारोबारी माहौल में, निरंतर सीखना और खुद को उसके अनुरूप ढालना बहुत आवश्यक है। यह जरूरी है कि हम माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला द्वारा बताए गए ‘सीखने, भूलने और फिर से सीखने’ के सिद्धांतों को अपनाएं। ईमानदारी और मूल्य, जिन्हें अक्सर अनदेखा किया जाता है, हमारे पेशेवर जीवन में सबसे आगे होने चाहिए। न केवल व्यवसाय संस्थापकों के रूप में बल्कि संगठनों में हमारी संबंधित भूमिकाओं के भीतर एक उद्यमी मानसिकता अपनाएं। अमेरिकी सेना द्वारा गढ़ी गई अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता, अस्पष्टता की अवधारणा अब अधिक प्रासंगिक है। चैटजीपीटी जैसे बदलाव तेजी से उद्योगों को अभूतपूर्व गति से बदल रहे हैं। हमें इस अस्थिरता और अस्पष्टता को नेविगेट करने के लिए तैयार रहना चाहिए। याद रखें, असफलता एक मूल्यवान शिक्षक है। असफलताओं से सीखे गए सबक सफलताओं से अधिक गहरा विजन प्रदान करते हैं। चुनौतियों को स्वीकार करें और उन्हें अपने विकास और नवाचार को आगे बढ़ाने दें।’’
कार्यक्रम के दौरान दो व्यावहारिक पैनल चर्चाओं का आयोजन भी किया गया। पहली पैनल चर्चा का विषय था- ‘एथिकल लीडरशिप इन द डिजिटल एरा – बैलेंसिंग, इनोवेशन एंड रिस्पॉन्सिबिलीटी’। इस विषय पर चर्चा के दौरान डिजिटल युग में चुनौतियों और अवसरों के बारे में गहन विचार-विमर्श किया गया। दूसरी पैनल चर्चा में ‘इनोवेटिव एंटरप्रेन्योरशिप-पायनियरिंग सस्टेनेबल बिजनेस थ्रू फाइनेंशियल इन्क्लूजन’ विषय पर विभिन्न अग्रणी कंपनियों के प्रमुख वक्ताओं ने भाग लिया। इनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं- बोइंग इंडिया सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में कंट्री काउंसल इंडिया डॉ अखिल प्रसाद, ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया में चीफ मैनेजर एचआर अमित मदान, इंडसइंड बैंक में एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट एचआर एन श्रीकांत नागुमोटू, ईएक्सएल एनालिटिक्स में सीनियर एवीपी एचआरबीपी एमी अनीता गिल्बर्ट, डीसीएम श्रीराम लिमिटेड में डीजीएम एलएंडडी अमृतेश राज; एयरटेल पेमेंट्स बैंक में चीफ रिस्क ऑफिसर प्रदीप के रंगी; जेएलएल इंडिया में ग्लोबल प्रोसेस ट्रांसफॉर्मेशन डायरेक्टर नितिन श्रीवास्तव; केएंडएस पार्टनर्स में सीएचआरओ जयंती जगन्नाथ; डीपी वर्ल्ड में निदेशक योगपाल सिंह; एटोटेक में मानव संसाधन प्रमुख स्वाति यादव; फाइंडॉकइन्वेस्टमार्ट में एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर नितिन शाही; एक्सट्रीमम एनालिटिक्स में को-फाउंडर और चीफ डेटा एंड एनालिटिक्स ऑफिसर शैलेश गिरी; सोप्रास्टेरिया इंडिया में डिप्टी चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर सुनील गोयल; एक्सट्रीमम एनालिटिक्स में सीईओ अमीषा सक्सेना; ओरेकल में ग्लोबल एचसीएम स्ट्रेटेजी डायरेक्टर और एपीएसी लीड नीरज नारंग; ब्लिंकिट में पीपल ऑप्स के वाइस प्रेसिडेंट कर्नल तरुण वोहरा और इंडिया एक्सेलेरेटर में को-फाउंडर दीपक शर्मा।
समारोह का समापन आईआईएम संबलपुर के प्रोफेसर दिवाकर सुंदर नादर के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। आरंभ में एमबीए फॉर वर्किंग प्रोफेशनल्स की अध्यक्ष प्रोफेसर पूनम कुमार ने कार्यक्रम का परिचय दिया। आईआईएम संबलपुर के सीएओ-इन-चार्ज अमृत मोहंती ने कार्यक्रम का संचालन किया।