कानपुर शहर के वरिष्ठ पत्रकारों की सूची में शामिल तेजतर्रार पत्रकार अवनीश दीक्षित पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने के मामले में डकैती की मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया है। सिविल लाइंस में नजूल की अरबों रुपये की जमीन पर रविवार को कब्जे की कोशिश के बाद देर रात जबरदस्त हंगामा हुआ। इस हंगामे में पुलिस ने 33 लोगों पर एफआईआर दर्ज कर रात में ही दो लोगों को हिरासत में ले लिया तो बवाल बढ़ गया। गिरफ्तारी के बाद कोतवाली में लोगों की भीड़ जमा होना शुरू हो गई। किसी अनहोनी को टालने के लिए कोतवाली पुलिस द्वारा मौके पर 20 थानों की पुलिस, रिजर्व फोर्स और पीएसी बल को बुला लिया गया था।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक सिविल लाइंस में हडर्ड चौराहे के पास कोतवाली थाना क्षेत्र के अंतर्गत मैरी ए मैरीमैन स्कूल की एक विवादित जमीन है। इस जमीन का बाजार भाव एक हजार करोड़ के आस पास का है। यह भूखंड पहले ईसाई संस्था को लीज पर दी गई थी। प्रशासन के मुताबिक लीज खत्म हो चुकी है और अब यह नजूल की जमीन है। लेखपाल द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट के मुताबिक इस जमीन पर कब्जा करने के लिए पत्रकार अवनीश दीक्षित के साथ 33 लोग पहुंचे। उन्होंने कमरों में ताले लगा कर कब्जा करने की कोशिश की। पहले से काबिज लोगों को हटाने पर विवाद होने लगा। इस दौरान पुलिस भी पहुंची लेकिन कब्जा करने पहुंचे लोग नहीं रुके। बात डीएम तक पहुंची। उन्होंने एसडीएम को कार्रवाई का निर्देश दिया। अंतत: लेखपाल ने वादी बनकर अवनीश दीक्षित समेत 33 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी। कुछ ही देर बाद दूसरी रिपोर्ट संपत्ति पर पहले से काबिज पक्ष की ओर से भी दर्ज कर दी गई। देर रात कोतवाली पुलिस ने अवनीश दीक्षित को गिरफ्तार कर लिया है।
इस तरह का है जमीन का विवाद
डीसीपी ईस्ट ने बताया कि जमीन सन 1910 में वूमंस यूनियन मिशनरी को 99 साल के पट्टे पर दी गई थी। उसके बाद यह यूनाइटेड फॉलोशिप ऑफ क्रिश्चियन सर्विस को लीज पर दी गई। इसमें एक गुट इमेनुअल और दूसरा सैमुअल का है, जिनके बीच जमीन के कब्जेदारी को लेकर विवाद है। इसी में झांसी का हरेंदर मसीह भी शामिल है। जिसने जमीन की पावर ऑफ एटर्नी अवनीश दीक्षित के नाम लिख दी। अवनीश ने इसका केयरटेकर जीतेश झा को बना दिया। उसी की आड़ में अवनीश दीक्षित समेत अन्य लोग कब्जा करने पहुंचे थे।
रिपोर्ट में यह लगे आरोप
लेखपाल विपिन कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक उसके क्षेत्र में नजूल भूखण्डों (ब्लाक-15, भूखण्ड संख्या-69, 69ए 69बी) पर रविवार को सुबह 10:15 के आसपास, हरेन्द्र मसीह, राहुल वर्मा, मौरिस एरियल, कमला एरियल, अभिषेक एरियल व अर्पण एरियल के उकसाने पर अवनीश दीक्षित, जीतेश झा, मोहित बाजपेयी, सन्दीप, विक्की चार्ल्स, अब्बास, जितेन्द्र व 20 अन्य व्यक्तियों ने बलपूर्वक कब्जा करने का प्रयास किया। डीसीपी श्रवण कुमार सिंह ने बताया कि अवनीश दीक्षित व साथियों ने गेटमैन को बंधक बनाया। कैमरों के डीवीआर निकाल ले गए। विरोध पर धमकी दी। दूसरे गुट की महिला से बदसलूकी भी की गई।
दो एफआईआर हुई है दर्ज
अवनीश दीक्षित समेत 33 लोगों पर लेखपाल विपिन कुमार की तहरीर पर मुकदमा संख्या 156/2024 और सैमुएल गुरुदेव सिंह की तहरीर पर मुकदमा संख्या 157/2024 दर्ज की गई है। दर्ज मुकदमे में भारतीय न्याय संहिता की डकैती समेत 10 धाराएं तामील की गई हैं। इनमें 191(2), 127(2), 324(4), 310(2), 61(2) आदि शामिल हैं। इसमें आरोप है कि कब्जा करने पहुंचे लोगों ने तोड़फोड की। धमकी दी और वसूली की कोशिश की। डीसीपी ईस्ट श्रवण कुमार सिंह ने बताया कि इस रिपोर्ट को भी दर्ज कर जांच की जा रही है।
आरोपी पक्ष का दावा झूठे मुकदमें में फंसा रही पुलिस
अवनीश दीक्षित की गिरफ्तारी के साथ ही आरोप और प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। एक ओर जहाँ पुलिस ने अवनीश दीक्षित और उनके सहयोगियों पर डकैती समेत गंभीर धाराओं के मुकदमे दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया है, वहीं अवनीश दीक्षित के नियोक्ता टीवी चैनल में उनके घर का सीसीटीवी फुटेज साझा करते हुए लिखा है कि ‘ये CCTV वीडियो कानपुर में भारत समाचार के पत्रकार अवनीश दीक्षित के आवास का है। वो अपने घर से ऑफिस जाने के लिए निकले 10.30 बजे सुबह। लेकिन कानपुर पुलिस ने दावा किया है की वो सबेरे 8 बजे डकैती डालने और जमीन कब्जाने गए थे।
पुलिस के पास सबेरे 8 बजे डकैती डालने का न कोई सीसीटीवी फुटेज और न सबूत। जबकि अवनीश अपने घर से निकले ही 10.30 सुबह के बाद। उनके परिजनों ने सीसीटीवी की पूरी डीवीआर सुरक्षित रखी है ताकि पुलिस के फर्जीवाड़े का खुलासा कोर्ट में कर सके।
पुलिस ने फर्जी मामले में रात में उन्हे अरेस्ट किया और तीन बजे भोर में मजिस्ट्रेट के घर पर कोर्ट लगवाकर उन्हें 3.30 बजे जेल में भी दाखिल कर दिया।