हिंदू धर्म में होली का त्योहार दो दिवसीय होता है। इसकी शुरुआत होलिका दहन से होती है। होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। पुराणों में होलिका दहन और पूजा का विशेष महत्व है। होलिका दहन के दिन होली की पूजा करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। मां लक्ष्मी के साथ सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
होलिका दहन रवि, बुधादित्य और सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा। होली के बाद से दीपावली तक तेजी का माहौल बना रहेगा। लेकिन बिजनेस करने वालों के लिए अच्छी स्थितियां बनेंगे और फायदे वाला समय रहेगा। विदेशी निवेश में भी वृद्धि होने के योग हैं। मंदी खत्म होगी। देश में बीमारियों का संक्रमण कम होने लगेगा उद्योग बढ़ेंगे। रियल एस्टेट से जुड़े लोगों को अच्छा समय शुरू होगा। महंगाई पर नियंत्रण बना रहेगा।
सर्वार्थ सिद्धि योग, बुधादित्य और रवि योग
24 मार्च को सुबह 6:20 बजे से सुबह 11:21 बजे तक रवि योग रहेगा, जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7:40 बजे से रात 12:35 बजे तक रहेगा। इसी दिन रात 8:34 बजे से वृद्धि योग शुरू होगा, जो अगली रात 9:30 बजे तक रहेगा। 24 व 25 मार्च को सूर्य व बुध के कुंभ राशि में साथ रहने से बुधादित्य योग भी बनेगा, जो शुभ व मंगलकारी होगा। बुधादित्य योग से लोगों के व्यापार, शिक्षा व नौकरी के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। दान-पुण्य करने का भी श्रेष्ठ फल मिलता है।
शुभ मुहूर्त
होलिका दहन तिथि- 24 मार्च 2024
होलिका दहन मुहूर्त 24 मार्च 2024- रात्रि 11:13 से मध्य रात्रि 12:33
कुल अवधि- लगभग 01 घंटे 20 मिनट
होली तिथि
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 24 मार्च 2024 को सुबह 8:13 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 25 मार्च 2024 को सुबह 11:44 मिनट
कैसे करें होलिका दहन
होलिका दहन के बाद जल से अर्घ्य दें। शुभ मुहूर्त में होलिका में स्वयं या परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से अग्नि प्रज्जवलित कराएं। आग में फसल को सेंक लें और अगले दिन इसे सपरिवार ग्रहण करें। ऐसा करने से परिवार के सदस्यों को रोगों से मुक्ति मिलती है।
होलिका दहन के दिन क्या नहीं करना चाहिए
होलिका दहन के दिन सफेद खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना चाहिए। होलिका दहन के समय सिर ढंककर ही पूजा करनी चाहिए। नवविवाहित महिलाओं को होलिका दहन नहीं देखना चाहिए। सास-बहू को एक साथ मिलकर होलिका दहन नहीं देखना चाहिए।
होलिका दहन की रात भी महारात्रि की श्रेणी में शामिल
होलिका दहन की रात को भी दीपावली और शिवरात्रि की भांति ही महारात्रि की श्रेणी में शामिल किया गया है। होलिका की राख को मस्तक पर लगाने का भी विधान है। ऐसा करने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। इस रात मंत्र जाप करने से वे मंत्र सिद्धि प्राप्त होती है। जीवन सुखमय बनता है, जीवन में आने वाली सभी परेशानियों का अपने आप निराकरण हो जाता है।
राशि अनुसार करें होलिका की पूजा
मेष राशि: मेष राशि के लोग गुड़ की आहुति दें।
वृषभ राशि: वृषभ राशि वाले चीनी की आहुति दें।
मिथुन राशि: मिथुन राशि के लोग कपूर की आहुति दें।
कर्क राशि: कर्क राशि के लोग लोहबान की आहुति दें।
सिंह राशि: सिंह राशि के लोग गुड़ की आहुति दें।
कन्या राशि: कन्या राशि के लोग कपूर की आहुति दें।
तुला राशि: तुला राशि वाले कपूर की आहुति दें।
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के लोग गुड़ की आहुति दें।
धनु राशि: धनु राशि के लोग जौ और चना की आहुति दें।
मकर राशि: मकर राशि वाले तिल को होलिका दहन में डालें।
कुंभ राशि: कुंभ राशि वाले तिल को होलिका दहन में डालें।
मीन राशि: मीन राशि के लोग जौ और चना की आहुति दें।
शनि-राहु-केतु और नजर दोष से मुक्ति के उपाय
होलिकादहन करने या फिर उसके दर्शन मात्र से भी व्यक्ति को शनि-राहु-केतु के साथ नजर दोष से मुक्ति मिलती है। होली की भस्म का टीका लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है। किसी मनोकामना को पूरा करना चाहते हैं तो जलती होली में 3 गोमती चक्र हाथ में लेकर अपनी इच्छा को 21 बार मन में बोलकर तीनों गोमती चक्र को अग्नि में डालकर अग्नि को प्रणाम करके वापस आ जाएं।
यदि कोई व्यक्ति घर में भस्म चांदी की डिब्बी में रखता है तो उसकी कई बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं। अपने कार्यों में आने वाली बाधा को दूर करने के लिए आटे का चौमुखा दीपक सरसों के तेल से भरकर उसमें कुछ दाने काले तिल,एक बताशा, सिन्दूर और एक तांबे का सिक्का डालकर उसे होली की अग्नि से जलाएं। अब इस दीपक को घर के पीड़ित व्यक्ति के सिर से उतारकर किसी सुनसान चौराहे पर रखकर बगैर पीछे मुड़े वापस आकर अपने हाथ-पैर धोकर घर में प्रवेश कर लें।