सवाल सविता सिंह ‘सैवी’ के और जवाब आपके …
Q1. सविता सिंह सैवी – “सबसे पहले आप अपने परिचय या जीवन वृत्तांत के बारे में हमें कुछ बताएं।”
पूनम सक्सेना –
मेरी शिक्षा -पारिस्थिकी(ecology) विज्ञान में स्नातकोत्तर।दयाल बाग एजुकेशनल इंस्टिट्यूट आगरा से।।
प्रयाग संगीत विद्यालय प्रयागराज उत्तरप्रदेश से कत्थक, गायन और वादन में सीनियर डिप्लोमा।
मेरा कार्य –सहजयोग मेडिटेशन वर्कशॉप।जो निशुल्क समाज सेवा है।
सबसे बड़ी उपलब्धि सहज योग की प्राप्ति।जिसके द्वारा उस परम तत्व का आभास।
इनरव्हील इंटरनेशनल महिला क्लब में डिस्ट्रिक्ट 310 से 62 क्लब्स में बेस्ट एडिटर अवार्ड(प्लैटिनम अवार्ड)
चौधरी चरण सिंह विश्वविधालय के प्रतिष्ठित 119 साल पुराने विद्यालय NREC खुर्जा जिला बुलंदशहर द्वारा महिला सशक्तिकरण दिवस पर विशिष्ट महिला सम्मान।
सहजयोग कार्यशाला के दौरान बहुत से शिक्षण और धार्मिक संस्थाओं द्वारा सम्मान।
साहित्यिक उपलब्धि–
साझा संग्रह में कविताओं का प्रकाशन
नई लेखनी के शब्द सुमन
भाव मंजरी
इनव्हील पत्रिका जागृति में रचनाओं का प्रकाशन।
आने वाले साझा काव्य संग्रह
नई लेखनी पार्ट 2
मेरे प्रतिबिम्ब
कहानी संग्रह।।
जिला स्तर के कई हिंदी उर्दू गोष्ठियों में काव्य पाठ ।।
Q2. सविता सिंह सैवी – लिखने की प्रेरणा आपको कैसे और कहाँ से मिली ?
पूनम सक्सेना – लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली?इस प्रश्न के उत्तर हर व्यक्ति के अपने तरह के होंगे। पर मैं महसूस करती हूँ कि मेरी प्रेरणा अदृश्य है।जो इबादत करते करते स्वयं से कब प्रकट हो प्रेरणा रूप में परिवर्तित हो गयी,अगर सच्चाई पूछे तो मुझे स्वयम को भी उसका आभास नहीं हुआ।भाव स्वतः ही शब्द बने और शब्द कब कविताओं में ढल गए? ये घटना सच पूछे तो परम् कृपा से घटित हुई।
Q3. सविता सिंह सैवी – आपके जीवन में लेखन क्या मायने रखता है ?
पूनम सक्सेना – लेखन मेरे जीवन में बहुत मायने रखता है,यदि वो सच को निडरता के साथ पेश करता है।
मुझे सत्य को पेश करने का अपना अंदाज़ बहुत भाता है,औरों का नहीं पता पर मेरे दिल को लुभाता है।
लेखन जो रूह से जुड़ कर लिखा जाता है,सच मे मेरे दिल मे गहरी आहट देता है।
जो मुँह से नहीं बोल पाता वो लेखनी से बहुतों को परास्त करता है।
Q4. सविता सिंह सैवी – कवयित्री बनने के बाद आपने अपने जीवन में क्या परिवर्तन महसूस किया है ?
पूनम सक्सेना – कवियत्री बन गयी ,इसको तो अभी आत्मसात नहीं कर पा रही हूँ अभी मैं।
हाँ कलम चल पड़ी कुछ को शीतल फुहार दे गई तो किसी को गर्माहट दे व्याकुल भी कर गयी।पर जो भी
एहसास है वो सत्य के धरातल पर है।
लिखने की कला आ गयी।
भाव शब्द बन कर कागज़ पर छप गए ,ऐसा लगा कि उनमें सजीवता आ गईं।
लेखनी चली और सत्य को उजागर करती गयी।
परम् सत्य को पाकर एक निडर,शीतल,सच ,दया,क्षमा को ह्रदय में प्रस्फुटित कर कागज़ पर उतर गयी।
Q5. सविता सिंह सैवी – अपने पाठकों के लिए आप क्या संदेश देना चाहती हैं ?
पूनम सक्सेना – अपने पाठकों को मैं संन्देश देना चाहती हूँ कि साहित्य का सम्मान करें । लेखनी की गहनता को समझते हुए उसको पढ़े।आलोचना से न डरे।
तारीफ़ के लायक हो तो खुल कर तारीफ करे ,आलोचना के लायक हो तो खुल कर आलोचना करें।
जो भी समीक्षा दे सत्य दे।