Q1. सविता सिंह सैवी – “सबसे पहले आप अपने परिचय या जीवन वृत्तांत के बारे में हमें कुछ बताएं।”
ललिता पाठक नारायणी – प्रदेश के पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्र में पर्याप्त भिन्नता है खानपान , रहन-सहन , बोलचाल में।
जिला मैनपुरी के एक छोटे से गांव में पैदा होने से लेकर, प्रयागराज में विवाह होने तक मुझे इस भिन्नता को निकट से देखने का मौका मिला। शिक्षा दीक्षा पश्चिमी छोर इटावा से स्नातक तथा कानून की शिक्षा आगरा से प्राप्त किया। विवाहोपरांत पूर्वी छोर की संस्कृति में घुल मिल गई। सही ढंग से प्रयाग में ही साहित्य सेवा का संकल्प क्रियान्वित हुआ और मां शारदे का उल्लेखनीय अनुदान प्राप्त हुआ, यथा …”कुछ पृष्ठ अभी तक खाली हैं”, साझा काव्य संग्रह ,’भाव मंजरी’ ; ‘काव्य मंजरी’ का प्रकाशन, गुफ्तगू का परिशिष्ठ और पटल पर पुरस्कार।
Q2. सविता सिंह सैवी – लिखने की प्रेरणा आपको कैसे और कहाँ से मिली ?
ललिता पाठक नारायणी – जिस प्रकार हीरे को तराशने का कार्य जौहरी करता है, उसी प्रकार मुझे लेखन कार्य हेतु प्रोत्साहन और मेरे जीवन का मार्गदर्शन ज्योतिर्विद श्रद्धेय डॉक्टर राम नरेश त्रिपाठी जी ने किया। लिखने की प्रेरणा मुझे बचपन में अपने परम आदरणीय दादी के पुस्तकालय की पुस्तकें और उनके सारगर्भित व्यक्तव्यों से मिली ।
Q3. सविता सिंह सैवी – आपके जीवन में लेखन क्या मायने रखता है ?
ललिता पाठक नारायणी – मेरे जीवन में लेखन के मायने मेरी पूजा से कम नहीं, एक समय की पूजा किन्हीं अपरिहार्य कारणों से छूट जाने पर जो वितृष्णा उत्पन्न होती है वैसा ही क्षोभ किसी कविता को पूरा न करने पर होता है ।सायं काल का समय इसी पूजा-अर्चना में बीत जाता है , पटल पर प्रथम स्थान पाने वाली सम्मानित अधिकांश रचनाएं अंतिम क्षणों में ही प्रेषित कर पाती हूं।
Q4. सविता सिंह सैवी – कवयित्री बनने के बाद आपने अपने जीवन में क्या परिवर्तन महसूस किया है ?
ललिता पाठक नारायणी – कवियित्री का संबोधन ही मुझे गौरवान्वित करता है, इससे मेरे आत्मगौरव, आत्मविश्वास में आशातीत वृद्धि हुई।
Q5. सविता सिंह सैवी – अपने पाठकों के लिए आप क्या संदेश देना चाहती हैं ?
ललिता पाठक नारायणी – अंन्त अपने सुधी पाठकों से यही निवेदन है … कृपया मेरी रचनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया ब्यक्त करें और मेरा मार्गदर्शन करें। आपकी प्रतिक्रिया मेरा मनोबल बढ़ाती है।