मध्यप्रदेश(माचलपुर) आज जहाँ पूरे देश मे महामारी फैली हुई है ,उसी के साथ मौसम के अनुसार किसी को मलेरिया,तो किसी को टाइफाइड जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है ,
वही नगर माचलपुर में स्थित चिकित्सालय के डॉक्टरों और स्टाफ के द्वारा मरीजो और उनके साथ आए परिजनों को परेशान किया जा रहा है। सितंबर 2020 को माचलपुर चिकित्सा अधिकारी डॉ भरत शाक्य की तबीयत खराब हो जाने के कारण उन्हें अपना उपचार करवाने के लिए दिल्ली जाना पड़ा जहां पर उनके हाथ में 80 परसेंट ब्रोकेड बताया गया और ऑपरेशन किया गया।
ऑपरेशन के दरमियान नॉर्मल पेशेंट को भी 3 महीने का मेडिकल दिया जाता है मगर मेडिकल ऑफिसर डॉ भरत शाक्य को ऑपरेशन के बाद मात्र 15 दिनों में वापस पदभार दिया गया आपको बता दें की जब डॉक्टर भरत शाक्य अपना उपचार करवाने के लिए दिल्ली गए थे उस दरमियान जिला चिकित्सा अधिकारी ने प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र पिपलिया कुलमी से मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर सुनील चौरसिया को अक्टूबर महीने में माचलपुर के लिए भेजा गया था मगर जैसे ही डॉ सुनील कुमार चौरसिया ने माचलपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का पदभार संभाला तत्पश्चात डॉ भरत शाक्य ने वापस अपना पदभार लेते हुए डॉ सुनील कुमार चौरसिया को वापस पिपलिया भेज दिया गया |
आपको बता दें कि किसी भी मरीज का नॉरमल ऑपरेशन होने पर भी कम से कम प्रशासन उसे 3 महीने तक अपने घर आराम करने की सलाह देता है मगर प्रशासन की लापरवाही के चलते ऑपरेशन के 15 दिन बाद डॉ भरत शाक्य ने जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर यदु द्वारा पदभार वापस ले लिया और डॉक्टर सुनील चौरसिया को वापस पिपलिया कुलमी उप स्वास्थ्य केंद्र पर भेज दिया गया आपको बता दें कि हाट का बड़ा ऑपरेशन होने के बाद डॉ भरत शाक्य 3 महीने का मेडिकल मिलना चाहिए था
बड़े अधिकारियों की लापरवाही के कारण डॉक्टर डॉक्टर को आराम की जगह वापस अपनी ड्यूटी दी गई और ड्यूटी के दौरान डॉ भरत कुमार शाक्य आए दिन चिकित्सालय में ओपीडी के समय मरीज और मरीज के परिजनों से शासकीय परिचय के साथ नगद ₹100 का निजी पर्चा बना कर देते हैं और मरीज मरीज के परिजनों के पास पैसे ना होने की स्थिति में डॉ भरत कुमार शाक्य उन्हें नजदीकी जिला चिकित्सालय झालावाड़ या राजगढ़ रेफर कर दिया जाता है।
आपको बता दें कि भ्रष्टाचारी की चरम सीमाओं को पार करते हुए डॉक्टर भरत शाह के गर्भवती महिलाओं की वह जांचे जो शासकीय की जानी चाहिए उन जाटों को शासकीय अस्पताल में करवाने के बाद भी जांच होने से पहले नगद ₹100 का परिचय बन माता है और नहीं बनवाने पर गर्भवती महिलाओं को भी झालावाड़ जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया जाता है।
बबलू राठौर (मरीज के पिता ) के अनुसार
जब मेरे बच्चे के कान में सोयाबीन का बीज चला गया तो में उसे अस्पताल लाया,और 5 रु का पर्चा बनवाया और अस्पताल स्टाफ दिलीप सिंह राजपूत से कहा तो उसने मेरे से बोला कि 100 रु,देने पड़ेंगे मेरे द्वारा 5 रु,का opd पर्चा दिखाने के बाद भी मुझसे दिलीप सिंह ने बोला कि इलाज करवाना है तो 100 रु देना पड़ेंगे,जा तुझे शिकायत करनी है तो कर दे ,में डॉ शाक्य के पास गया मगर मेडिकल ऑफिसर ने कोई कार्यवाही ना करते हुए,बड़ी मुश्किल से मेरे बच्चे का इलाज किया।
विक्रम अहीरवाल(मरीज) के अनुसार
जब मेरी तबियत खराब थी में सरकारी अस्पताल गया और ओपीडी पर्चा 5 रु का बनवा कर मेडिकल ऑफिसर डॉ भरत शाक्य के पास अपना इलाज करवाने गया,तो डॉक्टर ने मुझसे ओपीडी के समय बोला कि 100 रु का पर्चा बनवाया के नही ,मेने बोला सर् अभी अस्पताल खुला हुवा है ,मगर डॉक्टर ने जबरन मेरा 100 रु का पर्चा बना दिया,और बोलने लगा कि अच्छा इलाज करवाना है तो रुपये देने पड़ेंगे,
(मरीज का पति)पन्ना लाल सांटीया के अनुसार
मै अस्पताल मेरी औरत को लेकर गया उसको टाइफाइड है और मैने ओपीडी पर्चा 5 रुपये का भी बनवाया मगर जांच के लिए मुझे प्रायवेट लेब में भेज दिया गया,और बोला गया कि अब अस्पताल समय खत्म हो गया है जबकि में 3:30 बजे अस्पताल गया था।
भारत शाक्य (मेडिकल ऑफिसर)
मेरी तबियत खराब होने के कारण में अपना उपचार करवाने देहली गया था,जहाँ पर डॉक्टरों ने मेरा हार्ट 80% ब्लोकेड बताया।
डॉ. यदु (ज़ीला चिकित्सा अधिकारी)
जब डॉक्टर भरत शाक्य की तबियत खराब थी तो वो ऑपरेशन करवाने गए थे मगर उन्होंने हमसे मेडिकल और छुट्टी मांगी ही नही तो हम उनके घर जाकर थोड़ी देंगे।
रिपोर्ट-राजू मालवीय