भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ने ‘सॉइल नूट्रीअन्ट सेंसिंग डिवाइस एंड मेथड देयर ऑफ’ नामक एक सफल तकनीक लॉन्च की है, जिसे आईआईटी कानपुर के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर जयंत कुमार सिंह और उनकी टीम ने विकसित किया है। इस अभिनव तकनीक का उद्देश्य अपने कॉम्पैक्ट डिज़ाइन और उन्नत सुविधाओं के साथ मिट्टी परीक्षण के क्षेत्र में क्रांति लाना है। इसके व्यापक उपयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए, आईआईटी कानपुर ने स्कैनक्स्ट साइंटिफिक टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
आईआईटी कानपुर के डीन ऑफ रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट प्रोफेसर तरुण गुप्ता और स्कैनएक्स साइंटिफिक टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और सीईओ श्री रजत वर्धन के बीच समझौता ज्ञापन पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर आईआईटी कानपुर के रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट के एसोसिएट डीन प्रोफेसर राजा अंगमुथु और डिवाइस के आविष्कारक प्रोफेसर जयंत कुमार सिंह भी उपस्थित थे।
यह सॉइल नूट्रीअन्ट सेंसिंग डिवाइस एक कॉम्पैक्ट, स्मार्टफोन-कम्पैटिबल नवाचार है जो वास्तविक समय में मृदा पोषक तत्व विश्लेषण प्रदान करता है, जो भारतीय किसानों के लिए समय पर मिट्टी परीक्षण में महत्वपूर्ण कमी को दूर करता है। पारंपरिक रूप से जिला प्रयोगशालाओं पर निर्भर रहने वाले किसानों को अक्सर मृदा स्वास्थ्य आकलन प्राप्त करने में देरी का सामना करना पड़ता है। पोर्टेबिलिटी और उपयोग में आसानी के लिए डिज़ाइन किया गया, यह उपकरण एक साथ कई मिट्टी के मापदंडों का आकलन कर सकता है, एक क्लाउड सर्वर पर डेटा संग्रहीत कर सकता है, एक बार चार्ज करने पर 250 परीक्षण तक की सुविधा प्रदान करता है। यह अग्रणी उपकरण नियर-इन्फ्रारेड (NIR) स्पेक्ट्रोस्कोपी का लाभ उठाता है ताकि मृदा स्वास्थ्य की तत्काल जानकारी सीधे स्मार्टफोन पर दी जा सके, जिससे रासायनिक अभिकर्मकों और जटिल परीक्षण प्रक्रियाओं की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। सटीक पोषक तत्व प्रबंधन को सक्षम करके, प्रौद्योगिकी में कृषि को बदलने, फसल उत्पादकता बढ़ाने, उर्वरक के अति प्रयोग को कम करने और किसानों की आय में सुधार और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों में योगदान करने की क्षमता है।
प्रो. तरुण गुप्ता, डीन ऑफ रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट, आईआईटी कानपुर ने कहा, “सॉइल नूट्रीअन्ट सेंसिंग डिवाइस भारतीय कृषि के लिए एक बड़ा परिवर्तनकारी आविष्कार है, जो मृदा स्वास्थ्य आकलन में देरी की लगातार चुनौती का समाधान प्रदान करता है। नियर इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी के साथ तत्काल, रीऐजन्ट-फ्री परीक्षण प्रदान करके, यह तकनीक किसानों को सूचित निर्णय लेने, उर्वरक उपयोग को अनुकूलित करने और उत्पादकता बढ़ाने में सक्षम बनाती है। स्कैनएक्सट साइंटिफिक टेक्नोलॉजीज के साथ हमारे इस सहयोग के माध्यम से, हमारा लक्ष्य भारतीय कृषि पद्धती को बदलना और इस अग्रणी नवाचार को वैश्विक बाजारों में ले जाना है, जो टिकाऊ कृषि पद्धतियों के दृष्टिकोण का समर्थन करता है। मैं इस अभूतपूर्व विकास के लिए प्रो. जयंत कुमार सिंह और उनकी टीम को हार्दिक बधाई देता हूँ।”
प्रो. जयंत कुमार सिंह (आविष्कारक) ने कहा, “हमारा यह आविष्कार, वर्षों के शोध और कड़ी मेहनत का परिणाम है, जिसका उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य आकलन में किसानों के सामने आने वाली वास्तविक चुनौतियों का समाधान प्रदान करना है। इस नवाचार को देखना वास्तव में संतोषजनक है, जो तत्काल और सटीक मृदा विश्लेषण प्रदान करता है, जिसे अब व्यापक रूप से अपनाने के लिए स्कैनएक्सटी साइंटिफिक टेक्नोलॉजीज को हस्तांतरित किया गया है। यह उपकरण न केवल किसानों को तत्काल जानकारी प्रदान करता है, बल्कि राष्ट्रीय मृदा स्टैक के निर्माण में भी सहायता करता है, जिससे बेहतर उर्वरक प्रबंधन और स्थिरता को बढ़ावा मिलता है। मैं जमीनी स्तर पर और नीति स्तर पर अधिक टिकाऊ और कुशल कृषि परिदृश्य में इसके योगदान के साथ सकारात्मक प्रभाव को देखने के लिए उत्साहित हूं ।”
भारतीय मृदा परीक्षण उपकरण बाजार, जिसका वर्तमान मूल्य 2024 तक लगभग 114.43 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, महत्वपूर्ण विस्तार के लिए तैयार है। कुशल कृषि उत्पादकता समाधानों की बढ़ती मांग और क्लाइमेट रिज़िल्यन्स की आवश्यकता से प्रेरित होकर, यह बाजार 2030 तक 145.83 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 4.08% की CAGR से बढ़ रहा है।
श्री रजत वर्धन, संस्थापक एवं सीईओ स्कैनएक्सट साइंटिफिक टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने कहा, “हम इस मेड इन इंडिया इनोवेशन को वैश्विक बाजारों में ले जाने के लिए रोमांचित हैं, जिससे दुनिया भर के किसानों को वास्तविक मृदा स्वास्थ्य अंतर्दृष्टि के साथ सशक्त बनाया जा सकेगा जो कृषि पद्धतियों को बदल देगा। इस संयुक्त समझौता ज्ञापन के माध्यम से आईआईटी कानपुर के साथ हमारा सहयोग हमें मृदा परीक्षण तकनीकों को और आगे बढ़ाने की अनुमति देगा, जिससे हमारे भूपरीक्षक उपकरण में सूक्ष्म और द्वितीयक पोषक तत्व विश्लेषण को एकीकृत किया जा सकेगा। NIR स्पेक्ट्रोस्कोपी, IoT और AI/ML को मिलाकर, हमारा लक्ष्य किसानों को पोषक तत्व प्रबंधन को अनुकूलित करने और टिकाऊ कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए और भी अधिक सटीक और कार्रवाई योग्य डेटा प्रदान करना है।”
यह सहयोग मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन में एक परिवर्तनकारी बदलाव लाएगा, किसानों को तत्काल, डेटा-संचालित जानकारी प्रदान करेगा तथा भारत और विश्व स्तर पर टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देगा।