नयी दिल्ली: सोमवार को अखिल भरतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कृषि सुधार कानूनों को वापस लिए जाने तक आंदोलन जारी रखने की घोषणा की। समन्वय समिति के नेता योगेंद्र यादव और गुरनाम सिंह ने यहां संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से बातचीत करी। बातचीत में उन्होंने किसी शर्त के साथ सरकार के साथ कोई बातचीत नहीं की जायगी। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर देश भर में भ्रम फैलाया गया जिसका अब खुलासा हो गया है।
किसान नेताओं ने कहा कि पहले कहा गया कि कृषि सुधार कानूनों का बिचौलिए विरोध कर रहे हैं। जबकि यह पूरी तरह से गलत साबित हो गया है। किसानों को बरगलाए जाने की बात कही गई, जबकि बच्चे-बच्चे को कृषि सुधार कानूनों की जानकारी है। उन्होंने कहा कि पहले यह कहा गया कि यह आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का है। हालांकि इसमें पूरे देश के किसान शामिल हैं। यह देश का आंदोलन है और पंजाब इसका अगुआ है। किसानों के नेतृत्व को लेकर भी भ्रम फैलाने का प्रयास किया गया जबकि इसमें नेतृत्वकारी लोग हैं।
श्री यादव ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों को वापस लिए जाने तक आंदोलन जारी रहेगा और यह अपना एतिहासिक महत्व साबित करेगा। किसान नेता गुरनाम सिंह ने कहा कि किसान जहां हैं वहीं डटे रहेंगे। उन्होंने कहा कि किसान अपने मन की बात कहने आए है। उनकी बात सुनी जानी चाहिए नहीं तो यह बहुत महंगा पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसान आरपार की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत की। समझा जाता है कि किसान आंदोलन को लेकर ही दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई है। इसका ब्योरा नहीं मिल सका है।