मान्यता : देवी भक्ति की विशेष पूजा और अर्चना का पर्व शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 दिन शनिवार से शुरू हो रहा है. यह पर्व 25 अक्टूबर 2020 तक चलेगा. बता दें कि इस बार की शारदीय नवरात्रि अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बार पूरे 58 वर्षों के बाद शनि, मकर में और गुरु, धनु राशि में रहेंगे. इससे पहले यह योग वर्ष 1962 में बना था. इस नवरात्रि माता के आगमन का वाहन घोड़ा है जो युद्ध का प्रतीक है तथा विदाई का वाहन हाथी है. ऐसा माना जाता है कि फसल अच्छी होती है. तो आइए जानते हैं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, नवरात्र के नौ दिन होने वाले मां के अलग-अलग स्वरूप, नौ दिनों के नौ रंग खास और नौ दिनों के भोग विशेष क्या हैं? इस बार का शारदीय नवरात्रि आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी कि 17 अक्टूबर को पड़ रही है. इसी दिन कलश स्थापना होगी. कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 13 मिनट तक है.
नौ दिन होने वाले मां के अलग-अलग स्वरूप
मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना : 17 अक्टूबर, ग्रह : चंद्र
मां ब्रह्मचारिणी पूजा :
18 अक्टूबर, ग्रह : मंगल
मां चंद्रघंटा पूजा
19 अक्टूबर, ग्रह : शुक्र
मां कुष्मांडा पूजा :
20 अक्टूबर, ग्रह : सूर्य
मां स्कंदमाता पूजा :
21 अक्टूबर, ग्रह : बुध
षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
22 अक्टूबर, ग्रह : गुरु
मां कालरात्रि पूजा
23 अक्टूबर,ग्रह : शनि
मां महागौरी दुर्गा पूजा : 24 अक्टूबर, ग्रह : राहु
मां सिद्धिदात्री पूजा : 25 अक्टूबर,
जानिए, नवरात्रि में किस दिन मां को चढ़ाना चाहिए कौन सा भोग, क्या है मान्यता ?
देवी भक्ति की विशेष पूजा और अर्चना का पर्व शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 दिन शनिवार से शुरू हो रहा है. यह पर्व 25 अक्टूबर 2020 तक चलेगा.
जानिए, नवरात्रि में किस दिन मां को चढ़ाना चाहिए कौन सा भोग, क्या है मान्यता 2020: देवी भक्ति की विशेष पूजा और अर्चना का पर्व शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 दिन शनिवार से शुरू हो रहा है. यह पर्व 25 अक्टूबर 2020 तक चलेगा. बता दें कि इस बार की शारदीय नवरात्रि अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बार पूरे 58 वर्षों के बाद शनि, मकर में और गुरु, धनु राशि में रहेंगे. इससे पहले यह योग वर्ष 1962 में बना था. इस नवरात्रि माता के आगमन का वाहन घोड़ा है जो युद्ध का प्रतीक है तथा विदाई का वाहन हाथी है. ऐसा माना जाता है कि फसल अच्छी होती है. तो आइए जानते हैं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, नवरात्र के नौ दिन होने वाले मां के अलग-अलग स्वरूप, नौ दिनों के नौ रंग खास और नौ दिनों के भोग विशेष क्या हैं? इस बार का शारदीय नवरात्रि आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी कि 17 अक्टूबर को पड़ रही है. इसी दिन कलश स्थापना होगी. कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 13 मिनट तक है. 2020: जानिए, देवी दुर्गा को महिषासुरमर्दिनी क्यों कहा जाता है
नौ दिन होने वाले मां के अलग-अलग स्वरूप
मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना : 17 अक्टूबर, ग्रह :
मां ब्रह्मचारिणी पूजा : 18 अक्टूबर, ग्रह : मंगल
मां चंद्रघंटा पूजा : 19 अक्टूबर, ग्रह : शुक्र
मां कुष्मांडा पूजा : 20 अक्टूबर, ग्रह : सूर्य
मां स्कंदमाता पूजा : 21 अक्टूबर, ग्रह : बुध
षष्ठी मां कात्यायनी पूजा : 22 अक्टूबर, ग्रह : गुरु
मां कालरात्रि पूजा : 23 अक्टूबर,ग्रह : शनि
मां महागौरी दुर्गा पूजा : 24 अक्टूबर, ग्रह : राहु
मां सिद्धिदात्री पूजा : 25 अक्टूबर, ग्रह : केतु 2020: महालया कब है महालया कैसे मनाया जाता है ? जानिए महालया का इतिहास
नवरात्रि में नौ दिन तक मां को चढ़ेगा कौन सा भोग ?
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नवरात्रि के पहले दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है.
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नवरात्रि के दूसरे दिन मां को शक्कर का भोग लगाकर घर के सभी सदस्यों में बांटें. मान्यता है कि इससे आयु वृद्धि होती है.
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नवरात्रि के तीसरे दिन देवी भगवती को दूध या खीर का भोग लगाएं. इसके बाद इसे ब्राह्मणों को दान कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.
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नवरात्रि के चौथे दिन देवी मां को मालपुए का भोग लगाएं. इसके बाद इसे जरूरतमंदों को दान कर दें.
मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता का विकास होता है.
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नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का भोग अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक निरोगी रहता है.
नवरात्रि के छठवें दिन मां भगवती को शहद का भोग लगाएं. मान्यता है कि ऐसा करने से आकर्षण भाव में वृद्धि होती है.
-नवरात्रि के सातवें दिन देवी मां गुड़ का भोग लगाएं. इसके बाद यह भोग निराश्रितजनों और दिव्यांगों को बांट दें. मान्यता है कि ऐसा करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और ऐश्वर्य-वैभव की प्राप्ति होती है
नवरात्रि के आठवें दिन माता भगवती को नारियल का भोग लगाकर वह नारियल दान कर दें. मान्यता है कि ऐसा करने से संतान संबंधी सभी परेशानियों से राहत मिलती है.
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नवरात्रि के नवें दिन देवी भगवती को तिल का भोग लगाएं. इसके बाद यह भोग किसी जरूरतमंद को दान कर दें. मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु से राहत मिलती है.
17 अक्टूबर, शनिवार से आदि शक्ति माँ दुर्गा की उपासना का महाउत्सव नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों
शैलपुत्री,
ब्रह्मचारिणी,
चंद्रघण्टा,
कूष्मांडा,
स्कंदमाता,
कात्यायनी,
कालरात्रि,
महागौरी ,और,
सिद्धिदात्री
की पूजा किए जाने का विधान है। नवरात्रि की पूजा से पहले यानि नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना यानि कलशस्थापना की जाती है और समस्त देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है और इसके बाद नौ दिनों तक माँ के अलग-अलग रूपों का पूजन होता है। पुराणों के अनुसार कलश को भगवान विष्णु का रुप मानते हैं, इसलिए लोग माँ दुर्गा की पूजा करने से पहले कलश स्थापित कर उसकी पूजा करते हैं। इस लेख में हम आपको मुख्य रूप से घटस्थापना की विधि और उसके महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।
शारदीय नवरात्रि 2020 घटस्थापना मुहूर्त घटस्थापना की तारीख़ 17 अक्टूबर, शनिवार घटस्थापना करने का समय06:23:22 से 10:11:54 तकअवधि3 घंटे 48 मिनट