विदिशा मध्य प्रदेश :- कहते हैं ऊपर बाले के यहाँ देर है अंधेर नही बस यही आस लिये 28 वर्ष पूर्व गांव से शहर की ओर निकले रायसेन जिले के चांदोनी गांव से विदिशा आये रामकरन की कहानी अजीबोगरीब है । कहने में सरल है 28 वर्ष परन्तु जिस डगर पर रामकरन अपनी पत्नी पुष्पा के साथ जीवन की डोर पकड़े शहर की ओर गरीवी दूर करने निकले थे वह उस काठ की थी जो कभी भी कहीं भी साथ छोड़ दे । 45 वर्षीय रामकरन अपने भावुक होते हुये बताते हैं की जब में शहर आया तो में एक मजबूर मजदूर की तरह जहां जो मिला काम किया इसके बाद जीवन की भागदौड़ भरी जिंदगी को कोई मुकाम न मिलने के कारण मन विचलित था इसलिये कुछ और करने का मन मे उत्साह और ललक थी इसी दौरान रामकरन ने अपने जीवन की दूसरी कड़ी आटो चलाकर शुरू…. जिससे घर का बोझ ओर बच्चों की परवरिश भली भांति कर पाया । रामकरन के 2 बेटी और एक बड़ा बेटा है जिसको रामकरन ने पढ़ाई लिखाई में कोई कसर न छोड़ी है , बेटे को इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कराई इसके बाद बेटे के मन मे कुछ और बनना था बेटे ने पुलिस की तैयारियां शुरू की तो उसकी सफलता आज रामकरन की आंखों खुशी के मोती के रूप में आगे आगई । रामकरन ने अपने बेटे की शादी की बात बगैर किसी मांग के करने सोची फिर भी उसकी किश्मत में कुछ और ही लिखा था इसको पूरा बेटे के शसुराल बालों ने विवाह में एक कार देकर रामकरन के जीवन मे चार चांद लगा दिये । इसी तरह बड़ा बेटा अजय आज पुलिस की डयूटी कर देश को कोरोना वॉरियर्स के रूप में सेवा दे रहा है और रामकरन आज भी अपने आटो से वही पुराना अपना व्यवसाय चालू रखें हैं । आज रामकरन के जीवन की बो खुशियां बेटे ला दीं जो उन्होंने कभी नही सोचा होगा रामकरन के विवाह के आज 28 बर्ष पूरे हो गए इस मौके पर बेटे और बहू ओर रामकरन की दोनों बेटियों ने रामकरन के विवाह की वर्षगांठ को खूब आनंदित बनाया । आज रामकरन के लिये बो दिन था जो उनने अपने जीवन मे कभी कल्पना नहीं कि थी ।
रिपोर्ट घनश्याम रजक