दुनिया के तमाम महाशक्तिशाली देश जो खुद सुपरपॉवर होने का दम्भ भरते नहीं छकते, आज एक वायरस के सामने सरेंडर हो गए हैं | इटली जैसा देश, जो हेल्थ रैंकिंग में विश्व में दूसरे स्थान पर आता है, आज कोरोना के सामने घुटने टेक चुका है | कोरोना से विश्व में सबसे ज्यादा मौतें इटली में हो चुकी हैं, और आंकड़ा अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है | अमेरिका, विश्व की आर्थिक महाशक्ति और सबसे ताकतवर देशों में शुमार, जो जब चाहे दुनिया के किसी भी देश को आँखें दिखाकर प्रतिबन्ध लगा देता है, आज कोरोना के सामने घुटने टेकने की कगार पर पहुंच चुका है | इसके अलावा फ़्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन और यूरोप व पश्चिम के तमाम देश जो दुनिया पर आर्थिक नियंत्रण रखते हैं, कोरोना वायरस की चपेट में आकर तबाही के कगार पर जा पहुंचे हैं |
दरअसल कोरोना वायरस कोई त्रुटि नहीं है, जो किसी प्रयोग के परिणामस्वरूप फैली हो, इसके रुझानों पर नज़र डाली जाए तो साफतौर पर ये सोची समझी साजिश नज़र आती है | इस साजिश की ज़मीन बहुत पहले से तैयार की जा रही थी, और पूरे सुनियोजित तरीके से इस वायरस को दुनिया भर में फैलाया गया | कोरोना वायरस विश्व में महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षाओं का ही नतीजा है | कोरोना वायरस पूर्व और पश्चिम के वर्चस्व की जंग का नतीजा है जिसका खामियाजा पूरी दुनिया भुगत रही है और उससे भी ज्यादा हर देश की वो आम जनता जो इन सब षड्यंत्रों से कोसों दूर है | वो वर्चस्व जो पहले सिर्फ यूरोपियन देशों और अमेरिका के हाथ में रहता था, पूरी दुनिया खासकर अफ्रीका और एशिया को अपनी उंगली पर नचाने का, और जिस वर्चस्व की जंग में चीन ने अपने लिए एक सुनहरा मौका देखा और कूद पड़ा अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए |
लेबर और सस्ती टेक्नोलॉजी के मामले में चीन दुनिया में अपना डंका बजा चुका है | अमेरिका की दिग्गज मोबाइल कंपनी एप्पल समेत तमाम कंपनियां चीन के ऊपर निर्भर हैं | इसकेअलावा चीन की तमाम कंपनियां और रॉ मटेरियल सप्लायर भी दुनिया के तमाम देशों की अर्थ व्यवस्था में अपना अपना रोल निभाते हैं | पिछले कुछ दशकों से लेबर और सस्ते मटेरियल की वजह से चीन दुनिया भर में अपनी उपयोगिता साबित कर चुका है | इसके अलावा चीन की सरकारें दशकों से वहां अपनी विस्तारवादी नीतियां चलाती आ रही हैं | चीन अपने नजदीकी और सीमावर्ती देशों जैसे हांगकांग, सिंगापुर, पाकिस्तान, भूटान आदि को अपनी जागीर समझता रहा है और अपनी विस्तारवादी नीति के दायरे में हमेशा इन देशों को लाने का प्रयास करता रहा है | पाकिस्तान के बंदरगाहों को नियंत्रण में करने की चीन की चाल किसी से छिपी नहीं है | इसके आलावा चीन हांगकांग पर भी अपने नियंत्रण का प्रयास करता रहा है और वहां के जन आन्दोलनों को कुचलने की साजिश भी रचता रहा है |
खैर ये तो बात हुई चीन की विस्तारवादी नीतियों की | अब हम आते हैं कैसे कोरोना विश्व की महाशक्तियों के बीच जंग में एक हथियार बन के सामने आया है | वुहान, चीन का वो शहर जहाँ से जानलेवा वायरस कोरोना फैला, चीन का ऐसा शहर है जहाँ विश्व के तमाम देशों से लोग व्यापर के सिलसिले में आते रहते हैं | इसी शहर में है वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी, जहाँ की लैब से निकले कोरोना वायरस ने विश्व में तबाही मचा दी है | ये वायरस कोई ह्यूमन एरर का नतीजा नहीं बल्कि विश्व की अर्थव्यवस्था को काबू में करने का चीन का एक हथियार है | पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैलने के बाद जहां यूरोपियन देश और अमेरिका घुटने टेकने की कगार पर हैं वहीँ चीन इस वायरस पर काबू पा लेने की बात कर रहा है | आइये कुछ पॉइंट्स में समझते हैं कैसे इस वायरस के जरिये चीन विश्व इकॉनमी पर अपना अधिकार जमाने का प्रयास कर रहा है–
1- यूनाइटेड नेशन और वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका के बाद चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था है और चीन की महत्वाकांक्षी सरकार इस पायदान पर नम्बर एक होना चाहती है, जिसके लिए चीन ने विश्व के मार्केट में भूचाल लाने का तरीका अपनाया |
2- कोरोना वायरस चीन में नवम्बर के आखिरी दिनों में सामने आया | जिसके जानकारी चीन ने दुनिया को बहुत बाद में दी और विश्व स्वास्थ संगठन से भी इस बिमारी की गंभीरता को छिपाया गया |
3- चीन काफी समय तक यह मानने से इंकार करता रहा कि ये हवा से फैलने वाला वायरस है | इसके अलावा वुहान प्रांत में चीन ने बाहर के लोगों का आना जाना तब रोका जब हालात बेकाबू हो गए |
4- कोरोना वायरस फैलने के तरीके पर नज़र डाली जाये तो यह जिस तरह देश दर देश फैला उससे इसकी प्लानिंग साफतौर पर नज़र आती है |
5- अब जबकि पूरे यूरोप और अमेरिका में कोरोना वायरस फ़ैल चुका है और ये देश लॉक डाउन का सामना कर रहे हैं तब चीन इन देशों की कंपनियों के शेयर सस्ते दामों में खरीद रहा है |
6- आज की तारीख में जब कोरोना हर देश में लगभग बेकाबू होने की स्थिति में है और एक महामारी बन चुका है तब चीन अपने यहां बनी टेस्टिंग किट को अच्छा बता कर हजारों करोड़ में यूरोपियन देशों के साथ डील कर रहा है |
7- यूनाइटेड नेशंस की सुरक्षा परिषद् ने जब कोरोना की पारदर्शिता को लेकर मीटिंग बुलाने का निर्णय लिया तब चीन ने अपने वीटो पावर का अधिकार करके इस मीटिंग को ही कैंसिल करवा दिया |
8- आज विश्व के लगभग सभी देशों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हवाई यातायात बंद है जो कोरोना के पूरे विश्व में फैलने के बाद हुआ, जबकि यह कदम जब पहले उठाया जा रहा था तब चीन ने इस पर भी अपना अड़ंगा लगा दिया |
9- जिस वायरस ने वुहान में इतनी तबाही मचाई और पूरे विश्व में फ़ैल गया, उसी वायरस से बेजिंग और शंघाई कैसे अछूते रहे | यह कैसे संभव है जिस वुहान में दुनिया भर का आदमी आता जाता है उसी शहर में लॉक डाउन होने से पहले बीजिंग और शंघाई का कोई भी आदमी नहीं गया |
10- कोरोना के महामारी में तब्दील हो जाने के के बाद यूरोप और अमेरिका की तमाम कंपनियों के शेयर सस्ते दामों में अब चीनी कंपनियां खरीद रही हैं और यूरोप के मार्केट में अपना वर्चस्व स्थापित कर रही हैं |
दरअसल साल 2020 का यह एक ऐसा युद्ध है जो बिना किसी हथियार और गोली-बारूद के पूरी दुनिया में लड़ा जा रहा है | जैविक हथियार के बलबूते लड़ा जा रहा ये युद्ध बड़ी बड़ी शक्तियों को घुटनों के बल ला चुका है | चीन की रची गई यह एक ऐसी साजिश है जिसके जाल में पूरी दुनिया फंस चुकी है | पश्चिम के वर्चस्व की पताका अब पूर्व उठाना चाह रहा है | जो साम दाम दंड भेद की नीति पश्चिम का हथियार मानी जाती थी, वही षड्यंत्रकारी नीति अब पूर्व के पाले से खेली जा रही है | महत्वाकांक्षाओं की यह एक ऐसी दौड़ है जिसमें संस्कृति का गढ़ समझे जाने वाले पूर्व ने पश्चिम को पछाड़कर अपनी हुकूमत स्थापित करने की राह में पहला कदम चल दिया है | इसी के साथ बात यह भी सत्य है कि दुनिया में शाश्वत कुछ भी नहीं रहता इसीलिए शायद जो देश सदियों से विश्व की व्यवस्था और अर्थ नीति के संचालक थे वे आज घुटनों के बल आ चुके हैं |