कांवड़ यात्रा वाले मार्ग पर होटल, रेस्टोरेंट और खाने-पीने के दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार के आदेश पर लगी सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा. कोर्ट ने कहा कि हमारा आदेश साफ है. अगर कोई अपनी मर्जी से दुकान के बाहर अपना नाम लिखना चाहता है तो हमने उसे रोका नहीं है. हमारा आदेश था कि नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए समय दे दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की. वकील ने कहा हमारे यहां कोई घटना नहीं हुई है.
दिल्ली में कोई आदेश पारित नहीं
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हमने कांवड़ यात्रा मार्गों पर नेमप्लेट लगाने को लेकर कोई आदेश पारित नहीं किया है. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्य सरकार के निर्देश पर एकतरफा रोक लगा दी गई है. इस मामले पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए, नहीं तो यात्रा पूरी हो जाएगी.
इस पर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 60 साल से ये आदेश नहीं आया था. अगर इस साल लागू नहीं हो पाया तो कुछ नहीं बिगड़ जाएगा. कोर्ट विस्तार से मामले को सुनकर ही फैसला दे.
धार्मिक भावनाओं की रक्षा को प्रतिबद्ध: यूपी सरकार
उत्तराखंड सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि हमने कानूनी आधार पर ही निर्देश जारी किया. इस बारे में हमारे अपने नियम है. सिर्फ यात्रा की बात नहीं है. उत्तर प्रदेश सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देश दुकानों और भोजनालयों की ओर से मिली शिकायतों के बाद किए गए थे. ऐसी शिकायतें मिलने पर पुलिस अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों की चिंताओं को दूर करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कार्रवाई की है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में साफ कह दिया है कि लोगों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करने को वह प्रतिबद्ध है. सरकार ने कहा कि कांवड़ियों की धार्मिक भावना का ख्याल रखते हुए फैसला लिया गया. कांवड़ियों के साथ कुछ गलत न हो इसलिए यह फैसला लिया.
नेमप्लेट लगाना एक बेहतर उपाय
यूपी सरकार ने कहा है कि नेमप्लेट वाला आदेश शांतिपूर्ण कांवड़ यात्रा के संचालन के लिए थी. नेम प्लेट वाली प्रेस विज्ञप्ति पूरी तरह कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण समापन को सुनिश्चित करने के हित में जारी की गई थी. कांवड़ यात्रा में सालाना 4.07 करोड़ से अधिक कांवरिया भाग लेते हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक, वह किसी भी धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है. यूपी सरकार की तरफ से पेश वकील ने कहा कि पिछली घटनाओं से पता चला है कि बेचे जा रहे भोजन के प्रकार के बारे में गलतफहमी के कारण कई बार तनाव और अशांति पैदा हुई है. इन सबसे बचने के लिए नेमप्लेट लगाना एक बेहतर उपाय है.
शिवभक्तों की सुविधा के लिए दिया निर्देश
यूपी सरकार ने कहा कि वह मांसाहारी भोजन की बिक्री पर प्रतिबंध को छोड़कर बाकी अन्य दुकानदार पहले की तरह अपना बिजनेस करने को स्वतंत्र है. वहीं मुजफ्फरनगर पुलिस के निर्देश का समर्थन करते हुए याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव का कहना है कि नेमप्लेट लगाने का निर्देश शिवभक्तों की सुविधा, उनकी आस्था और कानून व्यवस्था को कायम रखने के लिहाज से दिया गया है. कोर्ट में दाखिल याचिकाकर्ताओं में इसे बेवजह सांप्रदायिक रंग देने कि कोशिश की गई है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन राज्य सरकारों के अधिकारियों द्वारा जारी निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी थी कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को ऐसी दुकानों के बाहर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने चाहिए. कोर्ट ने दुकानदारों को अपनी दुकान पर ये साफ-साफ लिखना होगा कि उनका खाना शाकाहारी है या मांसाहारी.