इसे देश का दुभाग्य कहें या घटिया राजनीति का रसातल से नीचे गिरना। जहाँ देश के सभी राजनेताओं को मिलकर कोरोना से लड़ने का प्लान बनाना चाहिए वहीं इसके उलट देश के राजनीतिक दलों ने कोरोना के बहाने भाजपा की केद्र और राज्य सरकारों की कमियाँ उजागर करने में लामबंद हो गये है। देश में सबसे ज्यादा कोरोना सक्रमितों की बात करें तो कांग्रेस शासित राज्यों के महानगर मुंबई है जहाँ कोरोना मामलों की संख्या 5407 पहुॅच गई है। दूसरे नंबर गैर भाजपा शासित राज्य दिल्ली है जहाँ मामले 3108 हो गये है।
लेकिन देश के महान राजनेताओं को इन शहरों की चिंता न होकर उत्तर प्रदेश के आगरा चिंता है। जहाँ अभी सिर्फ 384 कोरोना संक्रमण के मामले है। आगरा में फैल रहे कोरोना पर सोनिया गांधी की पुत्री प्रियंका वाड्रा ने योगी सरकार पर लापरवाही का अरोप लगाते हुए कहा कि राज्य को ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग पर ध्यान देना चाहिए। वहीं इस राजनीति के रसातल में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कूद पड़े है। अखिलेश ने ट्विीट करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा बहुप्रचारित कोरोना से लड़ने का ‘आगरा मॉडल’ मेयर के अनुसार फ़ेल होकर आगरा को वुहान बना देगा। न जाँच, न दवाई, न अन्य बीमारियों के लिए सरकारी या प्राइवेट अस्पताल, न जीवन रक्षक किट और उस पर क्वॉरेंटाइन सेंटर्स की बदहाली प्राणांतक साबित हो रही है। जागो सरकार जागो!
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर इन नेताओ ंको वाकई कोरोना के फैलने का है तो राहुल गांधी के तथाकथित भीलवाड़ा माॅडल पर इन नेताओं ने चुप्पी क्यूँ साध रही थी। आज जो प्रियंका उत्तर प्रदेश की सरकार का अपना दिव्य ज्ञान बांट रही है। उनका ज्ञान उस वक्त कहाँ चला जाता है जब राजस्थान में लगातार कोरोना के मरीज मिलते जा रहे है। राजस्थान में प्रियंका की माँ की ही पार्टी की सरकार है। ऐसे में अगर प्रियंका अपने ज्ञान का प्रयोग राजस्थान में कोरोना को कंट्रोल करने में खर्च करे तो शायद पूरे देश के सामने नजीर पेश कर सके।